सुख का सार

सद्गुरूनाथ जी महाराज ने बताया रूद्राक्ष की अनंत महिमा

इंदौरः सद्गुरूनाथ जी महाराज द्वारा दिव्य शक्ति पीठ इंदौर (मध्य प्रदेश) में 3 नवंबर से 9 नवंबर तक सायं 4 बजे से 7 बजे तक सौभाग्य श्री शिवमहापुराण कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। शिव महापुराण कथा के आयोजक हैं त्रिवेदी एवं त्रिवेदी परिवार एवं एवं सद्गुरूनाथ धाम परिवार तथा इस धार्मिक आयोजन के सह आयोजक है। अंकिता मनीष पटेल (सक्षम इवेंट एंड डेकोरेटर्स) एवं पटेल परिवार।
पांचवे दिन भी सद्गुरूनाथ जी महाराज द्वारा शिवमहापुराण कथा की अमृतवर्षा लगातार जारी है। पहले दिन से ही कथा में लोगों का गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। इंदौर ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न प्रांतों से शिवमहापुराण कथा का श्रवण करने के लिए लोगों का आना निरंतर जारी है।

सद्गुरूनाथ जी महाराज की प्रसिद्धि इतनी है कि हर कोई इनके द्वारा सुनाए जा रहे शिवमहापुराण कथा एवं दुःख निवारण शिविर के बार में जानता है। देश के विभिन्न प्रांतों में जहां भी गुरूदेव का आगमन होता है। लोग अपनी समस्या लेकर गुरूदेव के पास पहुंचते हैं और सद्गुरूनाथ जी महाराज किसी को निराश नहीं करते हैं। हर प्रकार की समस्या का समाधान गुरूदेव चुटकी बजाते ही कर देते हैं। इसलिए देश के हर राज्य के लोगों से सद्गुरूनाथ जी महाराज का आत्मीय लगाव रहता है।
इन्होंने सनातन धर्म के ध्वज को शिव महापुराण कथा के द्वारा जन-जन तक पहुंचाने का जो भगीरथ प्रयास किया है। वो काबिलेतारीफ है। कथा में आए हुए भक्तजन जब गुरूवर के मुख से शिवमहापुराण कथा का श्रवण करते हैं तो भाव-विभोर होकर शिवभक्ति में लीन हो जाते हैं और नाचने-गाने लगते हैं।

कथा के दौरान सद्गुरूनाथ जी महाराज ने रूद्राक्ष के महत्व पर भी प्रकाश डाला और बताया कि पुराणों में रुद्राक्ष को देवों के देव भगवान शिव का स्वरूप ही माना गया है। पौराणिक कथा के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रु से हुई है। रुद्राक्ष पहनने से इंसान की मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं। जो इसे धारण कर भोलेनाथ की पूजा करता है उसे जीवन के अनंत सुखों की प्राप्ति होती है।
गुरूदेव ने बेलपत्र के गुणों को बताया और कहा कि शिव भगवान को दूध और बेलपत्र दोनों बहुत पसंद है। उन्होंने ये भी कहा कि बेलपत्र को ऊपर की जेब में रखने से दिल में रक्तप्रवाह ठीक बना रहता है।

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मनुष्य जन्म होने के लाभ बताते हुए सद्गुरूनाथ जी महाराज ने शबरी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि शबरी श्री राम के रास्ते में पड़ने वाले कंकड़ को बीनकर हटा देती थी। बाद में उन्हें प्रभु श्रीराम ने दर्शन भी दिया और उनके जूठे बेर भी खाए।

रिश्ते हैं सुख का सार, इन्हें रखें संभाल कर: सद्गुरूनाथ जी महाराज

सद्गुरूनाथ जी महाराज ने सत्संग के दौरान जिंदगी में बेहतर रिश्ता बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रिश्तेदारों से अच्छे संबंध अनमोल पूंजी है। समझदार लोग इस बात को अच्छी तरह समझते हैं, इसलिए वे छोटी-छोटी बातों को लेकर उनसे मनमुटाव नहीं करते। अच्छे रिश्तों के लिए कुछ मूल मंत्र हैं, जो संस्कारी लोग भली-भांति जानते हैं इसके लिए उन्हें न कॉलेज की डिग्रियों की जरूरत होती है, न कंप्यूटर के ज्ञान की बल्कि वे स्वतः ही उन्हें सहेजकर रखते हैं और आदतन उन्हें निभाते हुए मजबूत बनाते हैं यह उनके खून में शामिल होता है। 

आज के भौतिकतावादी युग में जबकि परंपरा से मानी जा रही नैतिकता, मानवीय मूल्यों पर सवाल उठाती नई पीढ़ी अपनी मनमानी पर तुली है, उनके लिए स्वार्थ से बढ़कर कुछ नहीं, जिसकी आग में रिश्ते-नाते सब जलकर खाक करने पर वे उतारू हैं, रिश्तों के महत्व को जान लेना और भी जरूरी हो गया है। उनका नकारात्मक रवैया पारिवारिक तथा सामाजिक व्यवस्था को मटियामेट कर देगा, अगर समय रहते उनकी चेतना को न जगाया जाए, उन्हें रिश्तों की अहमियत न बताई जाए।

रिश्ते आपको बेहतर बनाते हैं

आपकी मानवीय भावनाओं को पोसते हैं रिश्ते! संवेदनशील बनाते हैं, कर्त्तव्य निभाना सिखलाते हैं, आपको स्वकेिंद्रत होने से बचाते हैं इसीलिए यह आपकी बेहतरी के लिए आवश्यक बन जाते हैं।

सहारा होते हैं रिश्ते

वक्त-बेवक्त काम आते हैं रिश्ते। कितने ही घरों में बच्चे पढ़ाई के लिए या किसी और कारण से दादी, बुआ, मौसी, चाची, मामी के घर रहते हैं। रिश्ते इस तरह ‘ग्रेट सपोर्ट सिस्टम’ बन जाते हैं, जिससे आपको भावनात्मक सुरक्षा, नैतिक बल मिलता है।

रिश्ते हैं सदा के लिए

यह बंधन पल दो पल का साथ नहीं बल्कि जीवनभर का होता है। खून के रिश्ते कुदरत बनाती है, उसे सहेजकर रखते हैं आप। इन्हें तोड़ना बहुत आसान है अक्सर गलतफहमियों के चलते ही मनमुटाव होते हैं। संवाद बना रहे, मन साफ हो तो गलतफहमियां ज्यादा देर तक नहीं टिकती।

रिश्ते अनूठे होते हैं

हर रिश्ते की अपनी मिठास,अपनी गरिमा और अपना मजा है। एक से दूसरे की तुलना करने का कोई औचित्य नहीं है। हर व्यक्ति का अपना व्यक्तित्व अपनी अस्मिता होती है। उसका अपना स्लॉट है, जिसमें वह फिट है उसे उसी नजर से देखें। सबसे समान आशा न करें क्योंकि हर व्यक्ति अपने में एक द्वीप है। उसके अपने टारगेट्स अपनी महत्वाकांक्षाएं, जरूरतें होती हैं, जिनके अनुसार उसका बिहेवियर भी अलग होगा।

 रिचार्ज करते हैं रिश्ते

आज हर व्यक्ति चिंताओं में डूबा तनावों से घिरा नजर आता है जीने के लिए चारों ओर से उस पर दबाव है। ऐसे में मन की बोझिलता से मुक्त कराते हैं रिश्ते अगर आप अपने उन रिश्तेदारों से मिलते हैं, जिनके साथ बचपन की मधुर यादें जुड़ी हैं तो उन यादों को ताजा करते हुए आपका एड्रेनालिन कुलांचें भरने लगता है। कभी अवसादग्रस्त होने पर आप लो फील कर रहे होते हैं, तब मां का ममतामयी स्पर्श, पिता का सिर पर रखा हाथ आपको कितना सुकून देते हैं। हमारे भीतर जीने की जो ललक है, वह सदा एक सी नहीं रहती। बैटरी जब डिस्चार्ज होने लगती है, यह रिश्ते ही हैं, जो उन्हें रिचार्ज करते हैं। आपको भीतर से बाहर लाकर उत्साहवर्द्वन करते हैं, जीवंतता लाते हैं, एनर्जी देते हैं, नवजीवन का संचार करते हैं।

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