सद्गुरूनाथ जी महाराज

देव दिवाली का महादेव से है गहरा संबंध: सद्गुरूनाथ जी महाराज

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया था. पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए तारकासुर के तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने प्रण लिया. इन तीनों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था. तीनों ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरत्व का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्म देव ने उन्हें यह वरदान देने से इनकार कर दिया.

ब्रह्मा जी ने त्रिपुरासुर को वरदान दिया कि जब निर्मित तीन पुरियां जब अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति में में होगी और असंभव रथ पर सवार असंभव बाण से मारना चाहे, तब ही उनकी मृत्यु होगी. इसके बाद त्रिपुरासुर का आतंक बढ़ गया. इसके बाद स्वंय शंभू ने त्रिपुरासुर का संहार करने का संकल्प लिया.

ऐसे हुआ त्रिपुरासुर का वध

पृथ्वी को ही भगवान ने रथ बनाया, सूर्य-चंद्रमा पहिए बन गए, सृष्टा सारथी बने, भगवान विष्णु बाण, वासुकी धनुष की डोर और मेरूपर्वत धनुष बने.  फिर भगवान शिव उस असंभव रथ पर सवार होकर असंभव धनुष पर बाण चढ़ा लिया त्रिपुरासुर पर आक्रमण कर दिया. त्रिपुरासुर का अंत हो गया. तभी से शिव को त्रिपुरारी भी कहा जाता है.

काशी से देव दिवाली का संबंध

कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर का वध हुआ था. इसकी प्रसन्नता में सभी देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे. फिर गंगा स्नान के बाद दीप दान कर खुशियां मनाई. इसी दिन से पृथ्वी पर देव दिवाली मनाई जाती है.

देव दिवाली के दिन स्नान करने के दौरान ‘गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।। ‘ मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। इससे व्यक्ति को सभी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। 

सद्गुरूनाथ जी महाराज ने बताया रूद्राक्ष की अनंत महिमा

इंदौरः सद्गुरूनाथ जी महाराज द्वारा दिव्य शक्ति पीठ इंदौर (मध्य प्रदेश) में 3 नवंबर से 9 नवंबर तक सायं 4 बजे से 7 बजे तक सौभाग्य श्री शिवमहापुराण कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। शिव महापुराण कथा के आयोजक हैं त्रिवेदी एवं त्रिवेदी परिवार एवं एवं सद्गुरूनाथ धाम परिवार तथा इस धार्मिक आयोजन के सह आयोजक है। अंकिता मनीष पटेल (सक्षम इवेंट एंड डेकोरेटर्स) एवं पटेल परिवार।
पांचवे दिन भी सद्गुरूनाथ जी महाराज द्वारा शिवमहापुराण कथा की अमृतवर्षा लगातार जारी है। पहले दिन से ही कथा में लोगों का गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। इंदौर ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न प्रांतों से शिवमहापुराण कथा का श्रवण करने के लिए लोगों का आना निरंतर जारी है।

सद्गुरूनाथ जी महाराज की प्रसिद्धि इतनी है कि हर कोई इनके द्वारा सुनाए जा रहे शिवमहापुराण कथा एवं दुःख निवारण शिविर के बार में जानता है। देश के विभिन्न प्रांतों में जहां भी गुरूदेव का आगमन होता है। लोग अपनी समस्या लेकर गुरूदेव के पास पहुंचते हैं और सद्गुरूनाथ जी महाराज किसी को निराश नहीं करते हैं। हर प्रकार की समस्या का समाधान गुरूदेव चुटकी बजाते ही कर देते हैं। इसलिए देश के हर राज्य के लोगों से सद्गुरूनाथ जी महाराज का आत्मीय लगाव रहता है।
इन्होंने सनातन धर्म के ध्वज को शिव महापुराण कथा के द्वारा जन-जन तक पहुंचाने का जो भगीरथ प्रयास किया है। वो काबिलेतारीफ है। कथा में आए हुए भक्तजन जब गुरूवर के मुख से शिवमहापुराण कथा का श्रवण करते हैं तो भाव-विभोर होकर शिवभक्ति में लीन हो जाते हैं और नाचने-गाने लगते हैं।

कथा के दौरान सद्गुरूनाथ जी महाराज ने रूद्राक्ष के महत्व पर भी प्रकाश डाला और बताया कि पुराणों में रुद्राक्ष को देवों के देव भगवान शिव का स्वरूप ही माना गया है। पौराणिक कथा के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रु से हुई है। रुद्राक्ष पहनने से इंसान की मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं। जो इसे धारण कर भोलेनाथ की पूजा करता है उसे जीवन के अनंत सुखों की प्राप्ति होती है।
गुरूदेव ने बेलपत्र के गुणों को बताया और कहा कि शिव भगवान को दूध और बेलपत्र दोनों बहुत पसंद है। उन्होंने ये भी कहा कि बेलपत्र को ऊपर की जेब में रखने से दिल में रक्तप्रवाह ठीक बना रहता है।

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मनुष्य जन्म होने के लाभ बताते हुए सद्गुरूनाथ जी महाराज ने शबरी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि शबरी श्री राम के रास्ते में पड़ने वाले कंकड़ को बीनकर हटा देती थी। बाद में उन्हें प्रभु श्रीराम ने दर्शन भी दिया और उनके जूठे बेर भी खाए।

शिव महापुराण कथा: सद्गुरूनाथ जी महाराज ने लोगों को बताया जीवन जीने क सिद्धांत

इंदौर: दिव्यदर्शी, धार्मिक गुरू, प्रसिद्ध कथावाचक सद्गुरूनाथ जी महाराज द्वारा दिव्य शक्ति पीठ मंदिर इंदौर में सुनाए जा रहे शिव महापुराण कथा में लगातार शिवभक्तों की भीड़ उमड़ रही है क्षेत्र के लोगों का शिवभक्ति के प्रति उत्साह देखते ही बनता है। आयोजकों का अथक प्रयास है कि दूरदराज से आए हुए लोगों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। सद्गुरूनाथ जी महाराज द्वारा सुनाए जा रहे कथा में लोग इस प्रकार शिवभक्ति में मग्न हो जाते हैं कि उन्हें समय का पता ही नहीं चलता कि कब कथा का समापन हो गया। गुरूदेव इतने सुंदर ढंग से कथा सुनते हैं कि लोग भाव-विभोर होकर नाचने लगते हैं।

कथा के दौरान गुरूदेव ने अमीर और गरीब के बीच बढ़ रही खाई के विषय में प्रकाश डाला और बताया कि गरीब होना कलयुग में बहुत दुःख की बात है। गरीब आदमी का न कोई रिश्तेदार होता है, न कहीं पर इसको मान-सम्मान दिया जाता है। ये सब आपके पूर्व जन्म फल होता है इसलिए भोलेनाथ की शरण में जाओ इनकी पूजा अर्चना करो क्योंकि शिव भक्तों का तो काल भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता। आपकी गरीबी और छोटी-मोटी समस्या तो भोलेनाथ अनायास ही दूर कर देंगे। जरूरत है उन पर पूर्ण विश्वास रखने की।

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भक्तजनों को कथा का श्रवण कराते हुए सद्गुरूनाथ जी महाराज ने कहा कि व्यक्ति का पूरा जीवन यह जानने में लग जाता है कि उसका जन्म क्यों हुआ ? हकीकत यह है कि हमारा जन्म अपने पूर्व जन्म के प्रतिफल को पाने और भगवान का भजन करने के लिए हुआ है। यदि हमने पूर्व जन्म में अच्छे कर्म किए होंगे तो इस जन्म में प्रतिफल के रूप में हमें आनंद की प्राप्ति होगी।

शिव महापुराण कथा का श्रवण करने से भवसागर पार हो जाती है सात पीढ़िया: सद्गुरूनाथ जी महाराज

प्रसिद्ध शिवभक्त, अध्यात्मिक गुरू सद्गुरूनाथ जी महाराज द्वारा दिव्य शक्ति पीठ मंदिर इंदौर में सुनाए जा रहे शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन काफी संख्या में शिवभक्तों ने कथा स्थल पर आकर गुरूदेव के मुखारविन्द से कथा सुनने का सौभाग्य पाया। पूरा कथा स्थल ऊँ नमः शिवाय और गुरूदेव की जय के जयकारे से गूंजता रहा। सद्गुरूनाथ जी महाराज की एक झलक पाने के लिए शिवभक्तों में होड़ मची थी।
ज्ञात हो कि प्रसिद्ध कथावाचक सद्गुरूनाथ जी महाराज प्रेमेश्वर महादेव की प्रेरणा से संपूर्ण भारतवर्ष में शिवभक्ति की अलख जगा रहे हैं। देश ही नहीं बल्कि विदेशों के काफी लोग भी सद्गुरूनाथ जी महाराज की दिव्य और दैवीय शक्ति के कायल हैं। लोगों की हर प्रकार की समस्या को सद्गुरूनाथ जी महाराज चुटकी बजाते ही दूर कर देते हैं।


कथा के दूसरे दिन सद्गुरूनाथ जी महाराज ने भगवान शिव के विशेष गुण का वर्णन किया और मोक्षदायक पुण्य क्षेत्रों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि शिव महापुराण कथा सुनने से विघ्नों का नाश होता है। वहीं व्यक्ति के जीवन में कल्याण की प्राप्ति होती है। शिवमहापुराण कथा के दौरान भगवान शिव के पौराणिक कथाओं को सुन श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए।

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सद्गुरूनाथ जी महाराज ने बताया कि शिव महापुराण कथा कराने से कई पीढ़ियां संवर जाती हैं। साथ ही आने वाली सात पीढ़ी भवसागर पार हो जाती है और जिस जगह कथा का आयोजन होता है, वहां आत्माएं व जीव-जंतु को मुक्ति मिल जाती है। जो पुण्य आत्मा इस कथा का श्रवण करती है, उसके पूर्वजों को भी मुक्ति मिलती है। साथ ही उन्हें इस सांसारिक भ्रमण से छुटकारा मिल जाता है। उनका मोक्ष मार्ग प्रशस्त होता है। हर व्यक्ति को प्रतिदिन थोड़ा समय निकालकर शिव नाम का सुमिरन अवश्य करना चाहिए।

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