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शादी से पहले जन्मपत्री मिलान का महत्व: सद्गुरूनाथ जी महाराज
विवाह के लिए वर-वधू की जन्मपत्री का मेलन करते समय मंगल ग्रह,नाडी और षडाष्टक का विचार करना अपरिहार्य होता है। आजकल ज्योतिष शास्त्र विषयक पुस्तकों में मंगल का उल्लेख प्रकर्षता के साथ किया जाता है। यदि जन्मकुंडली के 1,4,7,8 तथा 12 वें स्थान में मंगल ग्रह हो तो जातक मंगली माना जाता है। यदि यह…
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Guruvar considers male service as Narayan service
Acharya Satguru Nath Ji Maharaj has immense love for children, he helps poor children by distributing education material from time to time, spends time with children in orphanages, gives them affection and helps financially. Service to man is service to Narayan. Those who serve and help the needy are true social workers. According to Acharya…
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गुरूदेव ने बताया कल्पवास का महत्व और विशेषताएं
बसे पहले समझें कि कल्पवास का अर्थ क्या होता है। इसका मतलब है एक माह तक संगम के तट पर रहते हुए वेदाध्ययन और ध्यान पूजा करना। इन दिनों प्रयागराज में कुम्भ मेले का आरंभ भी हो चुका है एेसे में में कल्पवास का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। कल्पवास पौष माह के 11वें दिन…
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गुरूदेव ने बताया एकादशी व्रत की महिमा
यह संसार भोग-भूमि और मानव योनि भोग-योनि है इसलिए मनुष्य की स्वाभाविक रुचि भोगों की ओर ही रहती है । मनुष्य यदि भोगों में ही लिप्त रहेगा तो वह इस संसार में आवागमन के चक्र से मुक्त नहीं हो सकेगा । संसार में सब कार्यों को करते हुए भी कम-से-कम पक्ष में एक बार मनुष्य…
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देव दिवाली का महादेव से है गहरा संबंध: सद्गुरूनाथ जी महाराज
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया था. पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए तारकासुर के तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने प्रण लिया. इन तीनों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था. तीनों ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया…